जवाहर लाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर, 1889 को इलाहाबाद हुआ था।
उनके पिता का नाम मोतीलाल नेहरू था और मां का नाम स्वरूप रानी।
उनके पिता, मोतीलाल नेहरू एक धनी बैरिस्टर जो कश्मीरी पण्डित थे।
मोती लाल नेहरू सारस्वत कौल ब्राह्मण समुदाय से थे,
इनके पिता स्वतन्त्रता संग्राम के दौरान भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के दो बार अध्यक्ष चुने गए।
जवाहरलाल तीन बच्चों में से सबसे बड़े थे, जिनमें दो लड़कियां थी।
नेहरू की शिक्षा
नेहरू ने स्कूली शिक्षा “हैरो” से और कॉलेज की शिक्षा “ट्रिनिटी कॉलेज, कैम्ब्रिज (लंदन) से पूरी की थी।
इसके बाद उन्होंने अपनी लॉ की डिग्री कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से पूरी की।
जवाहरलाल नेहरू 1912 में भारत लौटे और वकालत शुरू की।
1916 में 26 साल की उम्र में नेहरू का विवाह 16 साल की कश्मीर ब्राह्मण बालिका से हो गया
जिनका नाम कमला कौल था।
नेहरू की राजनीति का सफर
राजनीति में उनकी असली दीक्षा दो साल बाद 1919 में हुई जब वे महात्मा गांधी के संपर्क में आए।
उस समय महात्मा गांधी ने रॉलेट अधिनियम के खिलाफ एक अभियान शुरू किया था।
नेहरू, महात्मा गांधी के सक्रिय लेकिन शांतिपूर्ण, सविनय अवज्ञा आंदोलन के प्रति खासे आकर्षित हुए
नेहरू का प्रधानमंत्री बनने का सफर
सन् 1947 में भारत को आजादी मिलने पर जब प्रधानमन्त्री के लिये कांग्रेस में मतदान हुआ
तो सरदार पटेल को सर्वाधिक मत मिले।
उसके बाद सर्वाधिक मत आचार्य कृपलानी को मिले थे।
किन्तु गांधीजी के कहने पर सरदार पटेल और आचार्य कृपलानी ने अपना नाम वापस ले लिया
और जवाहरलाल नेहरू को प्रधानमन्त्री बनाया गया।
1947 में वे स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमन्त्री बने।
अंग्रेजों ने करीब 500 देशी रजवाड़ों को एक साथ स्वतंत्र किया था
और उस समय सबसे बडी चुनौती थी उन्हें एक झंडे के नीचे लाना।
भारत रत्न से सम्मानित
जवाहरलाल नेहरू को वर्ष 1955 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
नेहरू के लेख
जनवरी 1934 से फरवरी 1935 तक जेल में थे तो अपनी आत्मकथा लिखी
जिसका नाम ‘टूवार्ड फ्रीडम’ है। इसे 1936 में अमेरिका में प्रकाशित किया गया था।
इंदिरा गांधी को काल्पनिक पत्र लिखने के बहाने उन्होंने विश्व इतिहास का अध्याय-दर-अध्याय लिख डाला।
ये पत्र वास्तव में कभी भेजे नहीं गये,
परंतु इससे विश्व इतिहास की झलक जैसा सहज संप्रेष्य तथा सुसंबद्ध ग्रंथ सहज ही तैयार हो गया।
भारत की खोज (डिस्कवरी ऑफ इंडिया) ने लोकप्रियता के अलग प्रतिमान रचे हैं,
जिस पर आधारित भारत एक खोज नाम से एक उत्तम धारावाहिक का निर्माण भी हुआ है।
पश्चिम सभय्ता के विरोधी नेहरू
उन्होंने पश्चिम सभय्ता के विरोध में पश्चिमी परिधान पहनना बंद कर दिया।
इसकी जगह वह जो जैकेट पहनते थे, उसका नाम नेहरू जैकेट पड़ गया।
वह बच्चों का मुकाबला गुलाब की कली से करते और अपने जैकेट में गुलाब रखा करते थे।
जवाहरलाल नेहरू वांग्मय नामक इस ग्रंथ माला का प्रकाशन अंग्रेजी में 15 खंडों में हुआ तथा हिंदी में सस्ता साहित्य मंडल ने इसे 11 खंडों में प्रकाशित किया है।
जवाहरलाल नेहरु के विचार:——
” आपतियां हमें आत्म-ज्ञान कराती हैं,ये हमें दिखा देती हैं कि हम किस मिट्टी के बने हैं | “
” अगर आप खुली आँखों से देखोगे, तो इस दुनिया में सौंदर्य और रोमांच का कोई अंत नहीं| “
” हकीकत, हकीकत ही रहने वाली है और आपकी पसंद के अनुसार हकीकत कभी गायब नही होती। “
” यदि पूंजीवादी समाज की शक्तियों को अनियंत्रित छोड़ दिया जाए तो वो अमीर को और अमीर और गरीब को और गरीब बना देंगी. “
” क्रिया प्रभावशाली होनी चाहिये जिससे साफ़ तौर पर अंत का अनुमान लगाया जा सके। “
” लोगों की कला उनके दिमाग का सही दर्पण है. “
” हर छोटी से छोटी बात को उसके चरम बिंदु से गिना जा सकता है। “
क्रिया प्रभावशाली होनी चाहिये जिससे साफ़ तौर पर अंत का अनुमान लगाया जा सके।
” लोकतंत्र और समाजवाद लक्ष्य पाने के साधन है, स्वयम में लक्ष्य नहीं. “ :
” कार्य के प्रभावी होने के लिए उसे स्पष्ट लक्ष्य की तरह निर्देशित किया जाना चाहिए. “
नेहरू की हत्या का प्रयास
चार बार पंडित नेहरू की हत्या का प्रयास किया गया था।
पहली बार 1947 में विभाजन के दौरान, दूसरी बार 1955 में एक रिक्शा चालक ने,
तीसरी बार 1956 और चौथी बार 1961 में मुंबई में।
निधन
27 मई, 1964 को हार्ट अटैक से उनका निधन हो गया।
वह अपने साथ सुरक्षाकर्मी को ले जाना पसंद नहीं करते थे क्योंकि इससे ट्रैफिक में बाधा पैदा होती थी।
उन्होंने 1947 में भारत के एक स्वतन्त्र राष्ट्र के रूप में स्थापना से
लेकर 1964 तक अपने निधन तक, भारत का शासन किया।
भारत में उनका जन्मदिन बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है।