रायपुर उप जिला चिकित्सालय में डॉ. धन सिंह रावत की सरल उपस्थिति बनी अनुकरणीय उदाहरण
“जब प्रोटोकॉल नहीं, भावना आगे बढ़े—मंत्री की चुपचाप उपस्थिति बनी व्यवस्था का आईना”
🔸 “जनता के बीच, जनता की भाषा में—स्वास्थ्य मंत्री की सरप्राइज यात्रा में झलकी लोकनिष्ठा”
🔸 “नेतृत्व का असली अर्थ—जब मंत्री स्वयं पीड़ा से संवाद करें”डॉ. धन सिंह रावत का रायपुर उप जिला चिकित्सालय में औचक निरीक्षण, मरीजों से सीधे संवाद कर स्वास्थ्य व्यवस्थाओं का लिया जायज़ा
रायपुर, 25 जुलाई 2025
आज प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने रायपुर उप जिला चिकित्सालय का औचक निरीक्षण कर सादगी, अनुशासन और मानवीय संवेदनशीलता का एक जीवंत उदाहरण प्रस्तुत किया।
डॉ. रावत बिना किसी सरकारी लाव-लश्कर, सुरक्षा दल या प्रोटोकॉल के अकेले अस्पताल पहुँचे। अस्पताल के मुख्य द्वार पर खड़े नर्सिंग स्टाफ उन्हें पहचान भी नहीं सके। मंत्री जी सीधे अस्पताल परिसर में दाखिल हुए और भर्ती मरीजों से साधारण घरेलू भाषा में हालचाल पूछना शुरू कर दिया।
मरीजों को आरंभ में यह ज्ञात नहीं था कि उनसे बातचीत कर रहे व्यक्ति प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री हैं। जब चिकित्सकों द्वारा यह जानकारी दी गई, तो मरीज और उनके तीमारदारों ने हाथ जोड़कर अभिवादन किया और अस्पताल की व्यवस्थाओं की सराहना की।
स्वास्थ्य मंत्री ने भर्ती मरीजों से दवा, जांच, सफाई, उपचार एवं स्टाफ व्यवहार जैसे विषयों पर विस्तार से जानकारी प्राप्त की। उन्होंने अस्पताल प्रशासन को निर्देश दिए कि चिकित्सा सुविधा में मानवता की झलक स्पष्ट होनी चाहिए।
यह मात्र निरीक्षण नहीं, एक भावनात्मक जुड़ाव था
डॉ. धन सिंह रावत का यह दौरा स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि जब नेतृत्व ज़मीन पर उतरता है, तभी व्यवस्था का वास्तविक मूल्यांकन संभव हो पाता है। उनकी सादगी भरी उपस्थिति से मरीजों को यह अहसास हुआ कि सरकार उनके साथ है — न केवल कागज़ों पर, बल्कि दिल से।
एक बुजुर्ग मरीज की पत्नी ने कहा, “हमें तो लगा कोई परिवार का सदस्य हाल पूछने आया है।” यह बयान स्वयं मंत्री की कार्यशैली का प्रमाण है।
स्वास्थ्य मंत्री डॉ. रावत ने अपने निरीक्षण के माध्यम से यह संदेश दिया कि जनसेवा का सर्वोच्च स्वरूप वही है, जहाँ संवेदना, विनम्रता और सादगी हो। यह दृष्टिकोण राज्य के स्वास्थ्य तंत्र को न केवल प्रभावी, बल्कि मानव-केंद्रित भी बनाएगा।