’विश्व दृष्टि दिवस’ के उपलक्ष्य में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान,
एम्स ऋषिकेश में नेत्र विभाग की ओर से आयोजित कार्यक्रम में
विशेषज्ञ चिकित्सकों ने लोगों से आंखों से संबंधित विभिन्न रोगों के प्रति जागरुक रहने को कहा है।
World Sight Day 2021:उन्होंने बताया कि जागरुक रहकर व किसी भी नेत्र
संबंधी विकार होने पर समय पर उपचार से ही दृष्टिबाधिता की समस्या से बचा जा सकता है।
त्रिवेणीघाट पर नेत्र संबंधी विकारों को लेकर जागरुक किया गया।
World Sight Day 2021:ऋषिकेश :
नेत्र रोग विभागाध्यक्ष प्रोफेसर संजीव कुमार मित्तल ने बताया कि
देश में लगभग 6 करोड़ लोग विभिन्न तरह के दृष्टिबाधिता रोगों से ग्रसित हैं।
उन्होंने बताया कि आम नागरिकों व मरीजों को यह समझना होगा कि शुगर बढ़ने से
World Sight Day 2021:
आंखों की बीमारियों को सीधा नुकसान होता है।
इस अवसर पर उन्होंने विश्व दृष्टि दिवस के उद्देश्य पर भी प्रकाश डाला।
ऑफिसिएटिंग डीन प्रोफेसर जया चतुर्वेदी ने कहा कि ’जान है तो जहान है’ तभी सार्थक है,
जब हमारी आंखें निरोगी हों और हम संसार को अपनी आंखों से देख सकें।
उन्होंने बताया कि वर्तमान भाग-दौड़भरे जीवन और प्रदूषण युक्त वातावरण के कारण जरूरी है कि
प्रत्येक व्यक्ति अपनी आंखों की स्वच्छता व उनकी बीमारियों के प्रति गंभीरता बरते व
किसी भी प्रकार की नेत्र संबंधी दिक्कतें सामने आने पर तत्काल विशेषज्ञ चिकित्सक से परामर्श लें।
कार्यक्रम के दौरान नेत्र विभाग के विभिन्न चिकित्सकों ने प्रोजेक्टर के माध्यम से
आंखों की विभिन्न बीमारियों उनके लक्षणों, बचाव और उपचार के बारे में आमजन को विस्तारपूर्वक समझाया।
डॉ. हिमानी पाल ने दृष्टिदोष के लक्षण बारीकी से समझाए।
बताया कि दृष्टिदोष की समस्या किसी भी उम्र के लोगों में हो सकती है।
उन्होंने आंखों से धुंधला नजर आना, पढ़ते समय सिरदर्द होना,
दूर व नजदीक का स्पष्ट नहीं दिखाई देना, किताबें पढ़ते समय आंखों से पानी आना
आदि बीमारी के लक्षणों, कारण और उनके उपचार के बारे में बताया।
डॉ. संध्या यादव ने कार्नियल अंधता के बाबत बताया कि
बच्चों में विटामिन -ए की कमी से यह परेशानी होती है।
उन्होंने बताया कि वर्तमान में कार्निया खराब होने पर
कार्निया प्रत्यारोपण की तकनीक विकसित हो चुकी है।
उन्होंने जोर दिया कि कार्नियल अंधता से ग्रसित लोगों को
इस तकनीक का लाभ उठाने के लिए प्रेरित करने की आवश्यकता है।
डॉ. दिव्या सिन्धुजा ने सफेद मोतिया, डॉ. सुचरिता दास ने काला मोतिया,
डॉ. राम जे. ने रेटिना से संबंधित विभिन्न बीमारियों और डॉ. लक्ष्मी शंकर ने
कम रोशनी के दौरान पढ़ाई-लिखाई करने व अन्य कार्य करने से
आंखों में होने वाली समस्याओं के बारे में जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि कम रोशनी में किताबें पढ़ने से आंखों की रेटिना में जोर पड़ता है
और उन्हें नुकसान हो सकता है। इसलिए हमेशा पढ़ते समय पर्याप्त रोशनी होनी चाहिए।
विभाग की फैकल्टी सदस्य डा. रामानुज सामंता ने बताया कि
आम लोगों को आंखों के प्रति जागरुक करने के लिए हम सभी
को संचार और प्रचार के विभिन्न माध्यमों का उपयोग कर सामाजिक जागरुकता लानी होगी।
कार्यक्रम में आई बैंक की मेडिकल डायरेक्टर डॉ. नीति गुप्ता समेत विभाग के कई
अन्य चिकित्सक, सीनियर रेजिडेंट्स और स्टाफ सदस्य मौजूद थे।
विभाग की ओर से सांयकाल त्रिवेणीघाट पर आयोजित कार्यक्रम में आम जन को नेत्र संबंधी बीमारियों के प्रति जागरुक किया गया।जिसमें विभागाध्यक्ष डा. संजीव मित्तल ने कार्नियल दृष्टिहीनता के मुख्य कारणों के बारे में बताया,जिसमें चोट से जख्म, कुपोषण संक्रमण, रसायनिक जलन, जन्मजात गड़बड़ी, ऑपरेशन के बाद जटिलताएं या संक्रमण संबंधी जानकारी दी।
डा. अजय अग्रवाल ने बताया कि काला मोतिया बीमारी के कारणों पर प्रकाश डाला। बताया कि आंख की नस जो दिमाग से जुड़ी होती है उसके खराब होने से यह बीमारी होती है, इससे रोशनी को जितना नुकसान हो जाता है वह दोबारा ठीक नहीं की जा सकती।
उन्होंने काला मोतिया के लक्षण आंख लाल होना, लगातार सिर दर्द होना, देखने का दायरा छोटा होना बताया।
आई बैंक की निदेशक व कार्निया स्पेशलिस्ट डा. नीति गुप्ता ने कार्निया दृष्टिहीनता के बाबत विस्तार से जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि इसका समाधान सिर्फ कार्निया प्रत्यारोपण ही है। बताया कि कार्निया आंख की पुतली होती है, बीमारी, जख्म अथवा अन्य किसी भी कारण से पुतली खराब हो जाए तो कार्निया प्रत्यारोपण ही इसका एकमात्र समाधान है।
इस दौरान उन्होंने लोगों से नेत्रदान के लिए आगे आने की अपील भी की,
उन्होंने बताया कि नेत्रदान से ही कार्निया प्राप्त कर नेत्रहीनों का जीवन रोशन किया जा सकता है।