प्राचार्य डॉ. सीएमएस रावत ने आरोपों को बेबुनियाद बताया, कहा- “25 वर्षों से शासकीय सेवा में ईमानदारी और कर्मठता से कार्य कर रहा हूं”
श्रीनगर:
श्रीनगर स्थित बेस चिकित्सालय के गेट पर धरना देने के दौरान वरिष्ठ कांग्रेसी नेता गणेश गोदियाल द्वारा मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. सीएमएस रावत पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए।
इन आरोपों का जवाब देते हुए प्राचार्य ने इन्हें बेबुनियाद और झूठा बताया। डॉ. रावत ने कहा कि बिना किसी ठोस प्रमाण और तथ्यों के सार्वजनिक मंच पर उनके खिलाफ आरोप लगाना बेहद गलत है।
प्राचार्य ने कहा, “मैं जबसे शासकीय सेवा में हूं, हमेशा ईमानदारी और मेहनत से कार्य करता आ रहा हूं। बिना किसी प्रमाण के मेरी छवि को धूमिल करने का प्रयास किया गया है, जो मुझे अत्यंत पीड़ादायक लगता है।” उन्होंने यह भी कहा कि उनके परिवार में भी स्वास्थ्य सेवा से जुड़े लोग हैं, जिनमें उनकी पत्नी एक राजकीय आयुर्वेद चिकित्सक हैं और उनके स्वर्गीय पिता भी स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत रहे हैं।
उन्होंने बचपन से ही ईमानदारी और सेवा की शिक्षा ली है और हमेशा उसी रास्ते पर चले हैं।
डॉ. रावत ने आगे कहा, “यदि आरोप लगाने वाले इस झूठे आरोप को खंडित नहीं करते, तो मुझे वैधानिक कार्यवाही करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।” उन्होंने यह भी कहा कि वह हमेशा गणेश गोदियाल का सम्मान करते आए हैं, लेकिन उनके द्वारा लगाए गए आरोप पूरी तरह से सत्य से परे हैं।
डॉ. सीएमएस रावत ने अपने 25 वर्षों के करियर के बारे में बात करते हुए बताया कि उन्होंने एम्स दिल्ली, मेरठ मेडिकल कॉलेज, और हिमालयन हॉस्पिटल जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में कार्य किया है।
इसके अलावा, उन्होंने हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज की स्थापना और वहां पीजी कक्षाओं की शुरुआत में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
प्राचार्य ने कहा कि वह वर्तमान में 2016-17 से श्रीनगर मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य और डीन के रूप में कार्यरत हैं। इस अवधि में, उन्होंने उत्तराखंड सरकार और शासन के सहयोग से कॉलेज में एमबीबीएस सीटों की संख्या 100 से बढ़ाकर 150 की और पीजी कोर्स की 52 सीटों में वृद्धि की।
साथ ही, संस्थान में आधुनिक चिकित्सा उपकरणों की व्यवस्था कराई, जिससे संस्थान में कार्यरत चिकित्सकों और स्टाफ का मनोबल बढ़ा है।
उन्होंने यह भी कहा कि उनकी पूरी कोशिश रहती है कि रुद्रप्रयाग, चमोली, पौड़ी, और टिहरी जिलों के लोगों को, साथ ही चारधाम यात्रा के दौरान आने वाले श्रद्धालुओं को गुणवत्तापूर्ण और ईमानदारी से चिकित्सा सेवाएं मिलें।
डॉ. रावत ने इस अवसर पर स्पष्ट किया कि बिना किसी ठोस प्रमाण के सार्वजनिक स्थल पर उनके खिलाफ झूठे आरोप लगाना न केवल उनके लिए व्यक्तिगत रूप से पीड़ादायक है, बल्कि यह उनके परिवार और उनके पूरे करियर पर प्रश्नचिह्न लगाने जैसा है। उन्होंने कहा कि यदि आरोपों का खंडन नहीं किया जाता, तो वह कानूनी रास्ता अपनाने के लिए मजबूर होंगे।