देहरादून: आज देहरादून में आयोजित एक समारोह में प्रदेश के कृषि और कृषि कल्याण मंत्री गणेश जोशी ने रेशम निदेशालय उत्तराखंड, केंद्रीय रेशम बोर्ड और ग्रामीण विकास विभाग की IFAD योजना के अंतर्गत संचालित संसाधन विकास कार्यक्रम का समापन किया।
इस अवसर पर रेशम निदेशालय द्वारा प्रदेश में चलाए जा रहे “Preservation of Doon Silk Heritage Project” के तहत आयोजित तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का भी समापन हुआ।
कार्यक्रम के दौरान लगभग 30 विभागीय अधिकारियों और कर्मचारियों को भारत सरकार के विषय विशेषज्ञों और केंद्रीय रेशम बोर्ड के वरिष्ठ वैज्ञानिकों द्वारा प्रशिक्षण प्रदान किया गया।
इस कार्यक्रम में प्रदेश के 13 जनपदों के विभिन्न स्वयं सहायता समूहों की करीब 300 महिलाओं को योजना का लाभ मिल रहा है, जो इस परियोजना के माध्यम से रेशम उत्पादन और अन्य संबंधित कार्यों में शामिल हो रही हैं।
मंत्री गणेश जोशी का संबोधन
मंत्री श्री गणेश जोशी ने कार्यक्रम में उपस्थित सभी प्रशिक्षणार्थियों को बधाई दी और उन्हें प्रेरित किया कि वे अब एक मास्टर ट्रेनर के रूप में अपने-अपने क्षेत्रों में योजना के लाभार्थियों को अधिक से अधिक लाभ उठाने के लिए प्रेरित करें।
मंत्री ने यह भी उम्मीद जताई कि इस परियोजना के सफल क्रियान्वयन से प्रदेश में रेशम उद्योग एक सशक्त स्वरोजगार का माध्यम बनेगा और क्षेत्र में रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।
प्रशंसा और उम्मीदें
मंत्री श्री जोशी ने जनपद ऊधम सिंह नगर की महिला समूह द्वारा कोकून क्राफ्ट से बनाए गए उत्पादों, जैसे कि मां नंदा सुनंदा, भगवान गणेश, भारत का मानचित्र आदि की मुक्तकंठ से सराहना की। उन्होंने विभाग को निर्देश दिया कि इन महिला समूहों को हर प्रकार की सहायता दी जाए, ताकि वे आगे बढ़कर इस उद्योग में अपनी पहचान बना सकें।
प्रारंभिक सफलता और भविष्य की दिशा
कार्यक्रम में रेशम निदेशालय के निदेशक प्रदीप कुमार ने योजना की प्रगति और उसकी विशेषताओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने यह आश्वासन दिया कि विभाग मिशन मोड में काम करेगा ताकि इस परियोजना को धरातल पर उतारते हुए इसे एक मॉडल के रूप में स्थापित किया जा सके।
समापन समारोह में उपस्थित अतिथि
समारोह में यूसीआरएफ के पूर्व अध्यक्ष चौधरी अजीत सिंह, उप आयुक्त ग्राम्य विकास उत्तराखंड नरेश कुमार, केंद्रीय रेशम बोर्ड के वैज्ञानिक डॉ. सिद्दीकी अली अहमद, सहायक निदेशक विनोद तिवारी,सहायक निदेशक,
रेशम विकास विभाग. मातवर कण्डारी, प्रबन्धक, आर०सी0 किमोठी, रेशम विकास विभाग के अन्य अधिकारी और कर्मचारी उपस्थित रहे।
इस कार्यक्रम ने न केवल रेशम उद्योग के विकास की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बढ़ाए हैं, बल्कि महिलाओं को स्वावलंबी बनाने और ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसरों को बढ़ावा देने का एक नया रास्ता भी खोला है