करीब 31% है उत्तराखंड में तंबाकू के सेवन का प्रचलन

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-विश्व तंबाकू निषेद्य दिवस के उपलक्ष्य में एचआईएमएस ने तंबाकू के दुष्प्रभावों के प्रति किया जागरुक

-हिमालयन इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के कम्यूनिटी मेडिसिन विभाग की ओर से जागरुकता कार्यक्रम आयोजित

देहरादून :- हिमालयन इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एसआरएचयू) के कम्यूनिटी मेडिसिन विभाग की ओर से विश्व तंबाकू निषेद्य दिवस पर जागरुकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस दौरान एचआईएमएस की ओर से विभिन्न गतिविधियां आयोजित की गई।

विश्व तंबाकू निषेद्य दिवस के उपलक्ष्य में हिमालयन इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एचआईएमएस) के कम्युनिटी मेडिसिन विभाग की ओर से जागरुकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। विभागाध्यक्ष डॉ.जयंती सेमवाल ने बताया कि एक रिपोर्ट के मुताबिक उत्तराखंड राज्य में तंबाकू के सेवन का प्रचलन लगभग 31% है, जो सभी उत्तरी राज्यों में सबसे अधिक है।

विभाग के ही डॉ.अभय श्रीवास्तव ने बताया कि तंबाकू का उपयोग कई पुरानी बीमारियों के लिए एक प्रमुख जोखिम कारक है, जिसमें कैंसर, फेफड़े की बीमारी, हृदय रोग और स्ट्रोक शामिल हैं। यह भारत में मृत्यु और बीमारी के प्रमुख कारणों में से एक है और हर साल लगभग 1.35 मिलियन मौतों का कारण है।

इस दौरान विश्व तंबाकू निषेध दिवस की थीम ‘हमें भोजन की जरूरत है, तंबाकू की नहीं’ पर एमएससी एपिडेमियोलॉजी के छात्र-छात्राओं ने लघु विडियो क्लिप के माध्यम से तबाकू के दुष्प्रभावों को दर्शाया। साथ ही विश्वविद्यालय परिसर को तम्बाकू मुक्त बनाने, तंबाकू का सेवन नहीं करने और लोगों को ज्यादा से ज्यादा जागरूक करने का भी संकल्प लिया। इस दौरान डॉ.एके श्रीवास्तव, डॉ.रुचि जुयाल, डॉ.नेहा शर्मा, डॉ.विदिशा वल्लभ, डॉ.सुरभि, डॉ.हिमांशु ममगाईं आदि मौजूद रहे।

तंबाकू से ये नुकसान
मुंह, गला, फेफड़े, फूड पाइप, किडनी, पैंक्रियाज, सेरेविक्स कैंसर समेत सांस में तकलीफ की समस्याएं होती हैं। इसके साथ ही लीवर में होने वाले 10 प्रकार के कैंसर में से नौ प्रकार के कैंसर धूम्रपान की वजह से ही होते हैं।

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