“जहाँ पवन बहे संकल्प लिए,
जहाँ पर्वत गर्व सिखाते हैं,
जहाँ ऊँचे नीचे सब रस्ते
बस भक्ति के सुर में गाते हैं
उस देव भूमि के ध्यान से ही
उस देव भूमि के ध्यान से ही
मैं सदा धन्य हो जाता हूँ
है भाग्य मेरा,
सौभाग्य मेरा,
मैं तुमको शीश नवाता हूँ
तुम आँचल हो भारत माँ का
जीवन की धूप में छाँव हो तुम
बस छूने से ही तर जाएँ
सबसे पवित्र वो धरा हो तुम
बस लिए समर्पण तन मन से
मैं देव भूमि में आता हूँ
मैं देव भूमि में आता हूँ
है भाग्य मेरा
सौभाग्य मेरा
मैं तुमको शीश नवाता हूँ
जहाँ अंजुली में गंगा जल हो
जहाँ हर एक मन बस निश्छल हो
जहाँ गाँव गाँव में देश भक्त
जहाँ नारी में सच्चा बल हो
उस देवभूमि का आशीर्वाद लिए
मैं चलता जाता हूँ
उस देवभूमि का आशीर्वाद
मैं चलता जाता हूँ
है भाग्य मेरा
सौभाग्य मेरा
मैं तुमको शीश नवाता हूँ
मंडवे की रोटी
हुड़के की थाप
हर एक मन करता
शिवजी का जाप
ऋषि मुनियों की है
ये तपो भूमि
कितने वीरों की
ये जन्म भूमि
मैं तुमको शीश नवाता हूँ और धन्य धन्य हो जाता हूँ