-हिमालयन हॉस्पिटल जॉलीग्रांट के कैंसर रिसर्च इंस्टिट्यूट में स्तन कैंसर जागरूकता शिविर आयोजित
-मेडिकल के छात्र-छात्राओं ने पोस्टर प्रदर्शनी के जरिए कैंसर से बचाव व उपचार की दी जानकारी
डोईवाला- हिमालयन हॉस्पिटल जॉलीग्रांट के कैंसर रिसर्च इंस्टिट्यूट में स्तन कैंसर जागरुकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। सीआरआई निदेशक डॉ.सुनील सैनी ने कहा कि स्तन में गांठ हो तो अनदेखा न करें।
दुनियाभर में महिलाओं में होने वाले कैंसर के मामलों में स्तन कैंसर पहले पायदान पर है। इसका एकमात्र कारण महिलाओं में जागरुकता व झिझक।
वरिष्ठ कैंसर चिकित्सक डॉ.मीनू गुप्ता ने बताया कि अक्टूबर माह को दुनिया भर में ब्रेस्ट कैंसर जागरुकता के महीने के तौर पर मनाया जाता है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया भर में औसतन आठ में से एक महिला को ब्रेस्ट कैंसर है। हिमालयन हॉस्पिटल की नर्सिंग निदेशक डॉ.रेनू धस्माना ने कहा कि कैंसर रोगियों को छूने या उनके साथ बैठने या खाना खाने से कैंसर नहीं फैलता। कार्यक्रम में डॉक्टरों, रोगियों उनके परिजनों व मौजूद लोगों ने कैंसर व उससे जुड़े अपने अनुभव साझा किए।
रेडियोथैरेपी के छात्र-छात्राओं ने पोस्टर प्रदर्शनी के जरिए कैंसर जागरुकता का संदेश दिया। साथ ही मेहंदी प्रतियोगिता का आयोजन कर रोगियों का मनोबल बढ़ाया।
इस दौरान डीन डॉ.मुश्ताक अहमद, डॉ.एसके वर्मा, डॉ.विपुल नौटियाल, डॉ.अंशिका अरोड़ा आदि मौजदू रहे।
10 में से 0 स्तन की गांठें कैंसर नहीं होती
स्तन कैंसर का जल्दी पता लगाने से उपचार अधिक प्रभावी हो सकता है। हालांकि सभी बदलाव स्तन कैंसर का संकेत नहीं होते। कुछ महिलाओं में ब्रेस्ट टिशू के सिस्ट हो जाते है, जो कि सामान्य है। एक कैंसर शोध के अनुसार, 10 में से 9 स्तन की गांठें कैंसर नहीं होती हैं।
स्तन कैंसर क्या होता है- स्तन कैंसर, कोशिकाओं की अनियंत्रित वृद्धि के कारण होता है, जिसके परिणामस्वरूप स्तन के भीतर गांठ बन जाती है। यह कैंसर के उपचारात्मक रूपों में से एक होता है।
स्तन कैंसर के लक्षण- स्तन या बाँह के नीचे गांठ होना, स्तन से तरल जैसे कुछ पदार्थ का निकलना, स्तन पर लाली या चकते उभर आना, स्तन में सूजन, स्तन के आकार में बदलाव
स्तन कैंसर होने के आम कारण-
बढ़ती उम्र, ज़्यादा उम्र में पहले बच्चे का जन्म, आनुवांशिकता, धूम्रपान या शराब का सेवन, अपने शिशु को स्तनपान जरूर करवाएं
स्तन कैंसर को रोकने के उपाय-
ध्रूमपान का सेवन न करें, शारीरिक रूप से ज़्यादा सक्रिय हो, व्यायाम आदि नियमित रूप से करें, कम मात्रा में रेड मीट का सेवन करें, नमक का सेवन कम करें, 45 की उम्र के बाद मेमौग्राफी जरूर करवाएं